Grahon ki yutiyon ke phal
Grahon ki yutiyon ke phal

Grahon ki yutiyon ke phal kya hota hai

ग्रहों के भावों के महत्वपूर्ण योग जब दो या इससे ज्यादा ग्रह किसी भाव में एकत्र हो जाते हैं तो भी अपने स्वभाव, मित्रता, शत्रुता, राशि में स्थिति, तत्व गुण आदि के अनुसार फल देते हैं। ग्रहों की इन युतियों व ग्रहों के सामंजस्य से हम जातक के बारे में भविष्यवाणी कर सकते हैं। राशि व भाव में इन युतियों के पड़ने वाले भाव से जातक के स्वभाव व भविष्य के बारे में जानकारी हो जाती है। फल कथन के लिए इन ग्रहों के सामंजस्य को ध्यान में रखा जाता है।  Grahon ki yutiyon ke phal
सूर्य-बुध की युति यदि किसी भाग में होती है तो यह विद्या बुद्धि प्रदान देता है, सरकारी नौकरी मिलती है, ज्योतिषी होता है, अपनी चेष्टा धन कमाता है लेकिन बचपन में इसको कष्ट मिलता है।  Read More- Mangal shani yuti in 8th house
सूर्य-शुक्र की युति से जातक कला व साहित्य में प्रवीण होता है, वह क्रोधी होता है और साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञाता, प्रेम संबंध बुरे होते हैं, बुरी संतान होती है और संतान में विलंब, तपेदिक, पिता के लिए बुरा होता है। सूर्य-गुरु की युति से मान मर्यादा, श्रेष्ठता, विद्या, उच्च पद तथा यश में वृद्धि होती है। निजी चेष्टा द्वारा कामों में सफलता मिल जाती है।
सूर्य-मंगल की युति वाला जातक साहसी, अग्नि क्रिया संबंधी काम, सर्जन, डॉक्टर, अधिकारी, सिर में चोट के निशान होते हैं। उसकी दृष्टि कम होती है, दुर्घटना होती रहती है। वह मकान बनाना है।
सूर्य-चंद्र की युति जातक को राजकीय ठाठ बाठ, अधिकारी पद, उत्तम राजयोग, डॉक्टर बनाता है। इसके दो विवाह को योग होते हैं। वैवाहिक जीवन ज्यादा सुखी नहीं होता, महिलाओं से विरोध मिलता है, बुढ़ापा उत्तम निकलता है।  Grahon ki yutiyon ke phal

सूर्य-शनि की युति से पिता-पुत्र के संबंधों में बिगाड़ रहता है। पिता के साथ पुत्र की बिल्कुल भी नहीं बनती। पिता से जुदाई, युवावस्था में संकट, राज दरबार बुरा, स्वास्थ्य बुरा, पिता की मृत्यु, गरीबी ,घरेलू अशांति, पत्नी का स्वास्थ्य खराब रहता है।
राहु-गुरु सरकारी नौकरी में झटके मिलते हैं, चमड़ी पर दाग रहता है, घरेलू अशांति रहती है, परिवार को बदनामी का डर होता है। स्वास्थय की स्थिति कमजोर होती है।
सूर्य-केतु सरकारी संबंध अथवा सरकारी नौकरी में उतार-चढ़ाव संतान फल बुरा,

चंद्र-मंगल स्थिति डांवाडोल रहती है, मन में बुरे विचार आते हैं,दुर्घटना, साहसिक कार्यों द्वारा धन की प्राप्ति होती है, श्रेष्ठ होता है ,वरदान प्राप्त करने वाला होता है ।
चंद्र-बुध उत्तम वक्ता, बुद्धिमान, लेखन, शक्ति, गहन चिंतन की अवस्था में, स्वास्थ्य में गड़बड़, गलैंड्स, दो विवाह के योग, मानसिक संतुलन,
चंद्र-गुरु उत्तम स्थिति, धन प्राप्ति, बैंक एवं शिक्षा विभाग में अधिकारी, उच्च पद, संस्था के संस्थापक, मान सम्मान, धनी, कर विभाग आदि, दृष्टि कम, विद्या में रुकावट।
शुक्र-चंद्र दो विवाह के योग, पत्नी से अलग अन्य स्त्री से संबंध, विलासी, शान शौकत का प्रेमी, चंद्रकला का प्रेमी, लेखक, आर्टिस्ट, एक्टर, कृषि भूमि, सूती कपड़े, रात का सुख।
शनि-चंद्र मानसिक तनाव, नजर की खराबी, माता, धन के लिए बुरा, हर काम में विलंब,दरिद्रता, उल्टा सोचना, विद्या में कमजोर,शराबी, उदास, सन्यासी ।
चंद्र-राहु पानी से भय, शरीर पर काले सफेद दाग, विदेश यात्रा,
चंद्र-केतु विद्या में रुकावट, मूत्र विकार, जिस्म, कूहलों का दर्द, केमिस्ट, होम्योपैथिक डॉक्टर, बवासीर।

मंगल-शनि दुर्घटना, इंजीनियर, डॉक्टर, भाइयों से अनबन, शादी में रुकावट, चमड़ी का रोग, खून की खराबी, साहसिक कार्य, वर्कशॉप, धन दौलत, चोरी, डाकू, ड्राइव,र सरकारी अधिकारी।  Grahon ki yutiyon ke phal

मंगल-बुध साहसिक काम करने से लाभ, बुद्धि व साहस का योग है। तीक्ष्ण बुद्धि, बारीकी, खोजी, स्पष्ट वक्ता, सेल्फी, आर्किटेक्ट, इंजीनियर, डॉक्टर, दुर्घटना, हाथ पर चोट के निशान, झूठा, अतिरिक्त बातें करें।
मंगल-गुरु गणितज्ञ, विद्वान, शिल्पी, ज्योतिषी, खगोल शास्त्री, पीलिया, धनवान, नेता, मंगलसूत्र, व्यापार में कुशल, धातु, विमान चालक, घरेलू,अंतरराष्ट्रीय, व्यापार, ऑटोमोबाइल, कार, फर्नीचर, पत्नी का स्वास्थ्य कमजोर, उत्साहित ।
मंगल-केतु संतान का फल शुभ, पुत्र, साहसी, तपेदिक, चमड़ी आदि रोग बीमारी, जोड़ों की सूजन, आत्महत्या के विचार।
बुध-गुरु विद्वान, कवि, काव्य, रचेता, आध्यात्मिक ज्ञान, दुखिया, कभी अमीर कभी गरीब, अकाउंटेंट, बैंक, एडवरटाइजिंग एजेंट, पुस्तकें, कैलेंडर, एडवोकेट। nakshtron ke charan

बुध-शुक्र अर्ध सरकारी विभाग में नौकरी, सरकारी नौकरी, घरेलू सुख, आटा चक्की, इंजीनियर कला कौशल, शिल्प कला, तेल मिट्टी, प्रेम संबंध, बुरा, मशीनरी, केमिस्ट, आर्मी वाला, सेक्रेटरी, ट्रांसपोर्ट, क्लर्क।

बुध-शनि कम बोलने वाला, गंभीर स्वभाव,हार्ड बोर्ड, इंश्योरेंस, पेंसिल विक्रेता, शराबी, मिलनसार, पिता के लिए बुरा।
बुध-राहु पागलखाना,जेल, अस्पताल, जानवर का शिकारी, दिमागी बुखार, मानसिक तनाव रहता है।

बुध-केतु यात्रा लगी रहे, कमर मे दर्द, पेशाब, रीढ़ की हड्डी में दर्द, दुखिया, पैरों के विकार, आध्यात्मिक, जादू टोना।

शुक्र-गुरु सुखी, बलवान, चतुर, नीति वाला, घरेलू अशांति, अध्यापिका।

गुरु-शनि कामों में निपुण, धनी, तेजस्वी, विद्या में रुकावट, पत्नी के लिए बुरा, बीमारी, चिंतन शक्ति कम।

शुक्र-शनि नीच मनोवृति, पाखंडी, चलाक, सांसारिक काम में होशियार, घर में पूजा पाठ करे।

गुरु-राहु बड़ों को अथवा बुजुर्गों को श्वास रोग, पिता के लिए बुरा।

गुरु-केतु विद्या में उत्तम, शत्रुता करे, पिता पुत्र अनबन।

शनि-राहु शरीर पर काला दाग, लहसुन अथवा बड़ा तिल, पत्नी संबंध बुरा, घरेलू अशांति, डॉक्टर,

शुक्र-राहु दो विवाह के योग, रेलवे, शांत, प्रेम संबंध, इलेक्ट्रिक विभाग, मनिआरी, बिजली, सेना विभाग, पत्नी से अनबन।
शुक्र-केतु संतान के लिए बुरा, काम में कमजोर, प्रेम संबंध, स्त्रियों से संबंध, भाई से दूरी, मूत्र विकार, शुक्राणु विकार।

सूर्य -चंद्र-बुध माता पिता के लिए अशुभ, मनोवैज्ञानिक, सरकारी अधिकारी, ब्लैकमेलर, अशांत, मानसिक तनाव, बदलने वाला
सूर्य-चंद्र-केतु रोजगार हेतु इधर-उधर भटकना, चैन न होना, बुद्धि न हो, लखपति भी हो जाए, शक्तिहीन।

शुक्र-सूर्य-शनि पति-पत्नी से बिछड़ जाना, तलाक, घरेलू अशांति, सरकारी नौकरी में गड़बड़।

सूर्य-बुध-राहु सरकारी नौकरी में गड़बड़, दो विवाह के योग, संतान के लिए कम चांस, जीवन में अधिकार, केमिस्ट की दुकान।

चंद्र-शुक्र-बुध सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, निर्णय, शांति, सास से झगड़ा, परिवार, समाज के लिए बुरा, लड़कियां अधिक।

चंद्र-मंगल-बुध मन बुद्धि का सामंजस्य है, स्वास्थ्य अच्छा, मन लगाकर काम करे, कुदृष्टि, मानव स्वरूप, दुर्घटना, ख्याली पुलाव पकाए।

चंद्र-मंगल-शनि नजर कमजोर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, शरीर पर काले दाग, सफेद दाग, दुर्घटना, मानसिक परेशानी रहती है।

चंद्र-मंगल-राहु पिता के लिए शुभ, चंचलता, माता अकेली रहती है।  Grahon ki yutiyon ke phal

चंद्र-बुध-शनि तंतु प्रणाली के रोग, अशांत, मानसिक तनाव, प्रभारी, दुर्घटना की आशंका, प्रॉपर्टी डीलर, पत्नी से अनबन
चंद्र-शनि-राहु माता सुख, दिमागी उलझन, ब्लड प्रेशर, का दुर्घटना का भय, स्वास्थ्य खराब रहता है।

मंगल-बुध-शनि आंखों में विकार, तंत्र प्रणाली रोग,रक्त विकार, मामा के लिए बुरा, दुर्घटना होती रहती है।

सूर्य-बुध-गुरु पिता के लिए शुभ, स्वास्थ्य, विद्य, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, दादा की आयु के लिए बुरा।

गुरु-चंद्र-शुक्र जातक को दो विवाह के योग होते हैं, बदनामी, कभी धनी कभी गरीब हो।

गुरु-चंद्र-मंगल की युति वाला जातक हर प्रकार से उत्तम, धनी, उच्च पद वाला होता है, अधिकारी, सुखी।

गुरु-चंद्र-बुध शिक्षक, दलाल, पिता के लिए शुभ, माता का स्वास्थ्य खराब।

गुरु-शुक्र-मंगल संतान की ओर से परेशानी, प्रेम संबंधों में से धोखा पाएं,

गुरु-शुक्र-बुध कुटुंब अथवा दोस्त बुरा, घरेलू संबंध खारब, पिता के लिए परेशानी।

गुरु -शुक्र-शनि जातक झगड़े करता है, झगड़े की जड़, पिता पुत्र का तकरार रहता है।

गुरु-मंगल-बुध संतान, स्वास्थ्य, एजेंट, वकील।

चंद्र-शुक्र-बुध-शनि मां पत्नी में अंतर न समझे, बदहाल, शक्की, बदनाम, दुराचारी। यदि दृष्टि शुभ हो तो शुभ फल प्रदान करे।

चंद्र-शुक्र-बुध-सूर्य आज्ञा का पालन करे, अच्छा स्वभाव, माता-पिता का आदर करे, काम बदलता रहे, सरकारी नौकरी।  Grahon ki yutiyon ke phal

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