Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी को अक्सर मोहिनी वशीकरण मंत्र को सिद्ध किया जाता है। मोहिनी भगवान विष्णु का नारी रूप है। हर वर्ष मोहिनी एकादशी वैशाख माह शुक्ल पक्ष में आती है। मोहिनी मंत्र के रूठा हुआ प्यार, किसी के मन में प्रेम जागृत करना, खोया हुआ प्यार वापस पाना, किसी को अपनी तरफ आकर्षत करने के लिए मोहिनी मंत्र का जाप किया जाता है। मोहिनी एकादशी वाले दिन आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो प्रेमी या प्रेमिका आपकी तरफ खिंची चली आएगी।  

when is Mohini Ekadashi 2022:  हर मानव इस धरती पर मोह का बंधा है। किसी को पुत्र का मोह, किसी को माया का, किसी को प्रेमी का मोह है। मोहिनी एकादशी को मंत्र जाप करके मानव अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है। मोहिनी को सिद्ध कर लेने से किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित किया जा सकता है। मोहिनी एकादशी प्रेम करने वालों के जीवन में एक विशेष दिन माना जाता है। अगले वर्ष मोहिनी एकादशी 12 मई 2022 को मनाई जाएगी। यह तिथी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है। जिन प्रेमियों के संबंध ठीक नहीं हैं और वे अपने प्रेम संबंधों में सुधार करना चाहते हैं या अपने प्रेमी या प्रेमिका को वापस पाना चाहते हैं तो मोहिनी एकादशी वाले दिन मंत्रों का जाप करके अपने संबंधों को मधुर बना सकते हैं। मोहिनी एकादशी भगवान विष्णु के नारी अवतार को समर्पित है। इस दिन उनके नारी स्वरूप मोहिनी की पूजा की जाती है। ऐसा भी माना जात है कि इस दिन जीवों का पालन करने वाले  भगवान विष्णु ने नारी रूप यानि मोहिनी का अवतार लिया था।

What is The Mohini Ekadashi Vrat Katha? मोहिनी अवतार की पौराणिक कथा

ऐसा माना जाता है कि अमृत निकालने के लिए समुद्र मंथन किया गया था। इस मंथन के लिए समुद्र में मेरू पर्वत को मंथनी बनाय अवतार ग्रहण किया था। मोहिनी अवतार भगवान के विशेष अवतार है, क्योंकि स्त्री अवतार है। जब समुद्र मंथन हुआ एक ओर देवता हैं दूसरी और दानव है। अमृत के लिए जब समुद्र का मंथन किया गया। मेरू पर्वत के मथनी बनाया गया।  वासुकी नामक नाग को रस्सी बनाया गया था। एक तरफ से देव इसको खींच रहे थो और दूसरी तरफ से दानव इसको खींच रहे थे। इस प्रकार समुद्र मंथन किया गया और अमृत कलश को निकाला गया। जैसे ही अमृत मिला देवों व दानवों में इसे पाने के लिए संघर्ष होना शुरु हो गया। मंथन पूरा होने पर अमृत प्राप्त हुआ। देव और दानवों में अमृत पाने की होड़ मच गई। इस संघर्ष को टालने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया और सभी को अमृत पान करवाने की जिम्मेदारी ली। मोहिनी के इसी रूप की पूजा की जाती है।

एक अन्य कथा के अनुसार भस्मासुर ने जब भगवान शिव से वरदान मांग लिया कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा तो वह भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे पड़ गया। इस प्रकार भगवान शिव उससे पीछा छुड़वाने के लिए भागने लगे । भगवान विष्णु ने इस दौरान मोहिनी का रूप धारण किया और भस्मासुर को उसी के लिए वरदान भस्म कर दिया। 

मोहिनी एकादशी की कथा क्या है?

एक अऩ्य कथा के अनुसार भद्रावती नामक स्थान सरस्वती नदी के किनारे पड़ता था। इस स्थान पर भगवान विष्णु के भक्ता राजा ध्रुतिमान शासन करते थे। उनके पांच पुत्र थे जिनमें धृष्टबुद्धि कपटी पुत्र था। उससे राजा व उसकी प्रजा परेशान थी। वह पाप कर्म करने से पीछे नहीं हटता था। उसकी हरकतों में सुधार न होने के कारण उसे देश निकाला दे दिया गया लेकिन वह फिर भी नहीं सुधरा। वह पाप कर्म करता रहा और लोगों को 

यह सब देखकर राजा ध्रुतिमान ने धृष्टबुद्धि को त्याग दिया। बचने के लिए वह लूट की वारदातों में शामिल हो गया। परिणामस्वरूप, उन्हें राज्य से बाहर निकाल दिया गया। 

एक बार धृष्टबुद्धि लोगों को लूटते हुए ऋषि कौंडिन्य के आश्रम में पहुंचा। यह समय वैशाख माह का था। उसने देखा की ऋषि कौंडिन्य सरस्वती नदी में स्नान कर रहे हैं तो वह चुपचाप उन्हें परेशान करने की नियत से उनके पास चला गया। जब ऋषि कौंडिन्य स्नान  कर रहे थे तो पवित्र जल के छींटे उनके शरीर को छूते हुए धृष्टबुद्धि पर पड़ गए। इन पवित्र छींटों का इतना असर हुआ कि धृष्टबुद्धि की आत्मा शुद्ध हो गई और उसके सारे विकारों का नाश हो गया। इससे उसमें आत्म-साक्षात्कार तथा अच्छी भावना का संचार हो गया। वह एक संयमशील, सुशील, सत्यवान पुरुष बन गया। उसने अपने किए सभी अनैतिक पापों के लिए पश्चाताप किया और ऋषि कौंडिन्य उसे आशीर्वाद देने का आग्रह किया। किसी सच्चे संत की शरण में आने से पापी के पाप नष्ट हो जाते हैं।  READ MORE- Vashikaran Mantra

ऋषि कौंडिन्य ने उसको पापों से मुक्त करते हुए  शुक्ल पक्ष के दौरान वैशाख महीने में पड़ने वाली मोहिनी एकादशी व्रत करने को कहा। इसी दिन से मोहिनी एकादशी व्रत किया जाने लगा। 

कैसे करें मोहिनी एकादशी दौरान मंत्र का जाप विधी व मोहिनी मंत्र What are The Rituals of Mohini Ekadashi?

अगले वर्ष मोहिनी एकादशी 12 मई 2022 को पड़ रही है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करके आसन ग्रहण कर लें जाप करने के लिए हाथ में वैजंती माला धारण कर लें। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की तस्वीर को सामने रख लें। धूफ व दीपक जला लें। जिसे अपने वश में करना चाहते हैं उसका नाम लेकर मोहिनी मंत्र का जाप 108 बार  करें। 

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मोहिनी मंत्र- 

ऊँ मोहिनी महा मोहिनी अमृत वासिनी। मोहिनी (अमुख/ नाम) मोहय मोहय स्वाहा।।

इस मंत्र का जाप आपको तीन दिन लगातार करना है। पूरी विधी व निमानुसार करने से जो प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे से दूर हो चुके हैं, पति-पत्नी में तनाव चल रहा है तो उनके प्रेम संबंधों में मधुरता आ जाएगी। यदि आपको सफलता नहीं मिलती तो आप समझ जाइए कि कुंडली में संयोग ठीक नहीं है या पूरी विधी से पूजा नहीं की गई। इसके लिए आपको फिर से प्रयास करना पड़ सकता है।

मोहिनी एकादशी वाले दिन भक्त उपवास रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के नारी स्वरूप मोहिनी की अराधना की जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि भक्त अपने किए पापों से छुटकारा, विलासिता व समृद्धि वाला जीवन बीताने के लिए इस व्रत को करते हैं।

कब होती है मोहिनी एकादशी ? When is Mohini Ekadashi?

हिंदू देसी कैलेंडर के अनुसार, मोहिनी एकादशी हर वर्ष वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष के दौरान 11 वें दिन (एकादशी तिथि) को आती हैऔर इस दिन ही मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मोहिनी एकादशी अप्रैल या मई के महीने में आती है। भक्त उपवास पूरा होने पर ब्राह्मणों को दान व भोजन करवाते हैं। इस दिन विष्णु सह्रनाम का पाठ भी किया जाता है। भगवान विषणु की मंगल आरती की जाती है। इस दिन सूर्य पुराण का पाठ भी किया जा सकता है।

मोहिनी एकादशी का क्या महत्व है? What is the importance of Mohini Ekadshi?

मोहिनी एकादशी का बहुत ही महत्व है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठर को मोहिनी एकादशी का महत्व समझाया था। इससे पहले भगवान राम जी को महर्षि वशिष्ठ जी ने इसका महत्व बताया था। इस व्रत के करने से पुण्य व अच्छे कर्म मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक हजार गायों को दान करने, तीर्थ यात्रा व यज्ञ करने से जितना पुण्य मिलता है, केवल इस व्रत को करने से प्राप्त हो जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से भक्त जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की तरफ अग्रसर होते है। 

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